एक स्टूडेंट की कहानी जो आप में जोश भर देगी||
एक स्टूडेंट की कहानी जो आपमें जोश भर देगी
एक यह कहानी साजन शाह नाम के एक युवा लड़के की है। वह एक छोटे से शहर में पला-बढ़ा है, जहां कुछ ही अवसर थे, और उसका परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। उनकी अनगिनत कठिनाइयों के बावजूद, साजनने कभी भी अपनी आशावादी सोच नहीं खोई और उसने एक दिन कुछ बड़ा हासिल करने का सपना देखा।
जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, साजनने अपने दोस्तों और सहपाठियों को अपने सपनों को छोड़ते देखा, हार मानते देखा । वे उन नौकरियों से समझौता कर लेते जो बिलों का भुगतान तो करते थे लेकिन उनके सपने पूरा नहीं करते थे और इतना ही नहीं उन्होंने खुद पर विश्वास करना तक बंद कर दिया था। साजनने अपने दोस्तों की तरह हार मानने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उसने हर दिन खुद को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।
हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, साजनकी नज़र कॉलेज पर पड़ी। वह जानता था कि उसका परिवार ट्यूशन के पैसे अफोर्ड नहीं कर सकता , लेकिन उसने इस रोड़े के आगे भी रुकने से इनकार कर दिया। उसने एक छात्रवृत्ति के बाद दूसरी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया, अनगिनत निबंध लिखे, और एस आई टी के अध्ययन में महीनों बिताए। आखिरकार, उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उसे अपने सपनों के कॉलेज में एक दाखिला मिला ।
साजन के लिए कॉलेज आसान नहीं था। कोर्स की पढाई चुनौतीपूर्ण थी और उसे अक्सर ऐसा लगता था कि जो उसे पढ़ाया जाता है वो उसके सर के ऊपर जाता है । लेकिन उसने हार नहीं मानी और पहले से भी ज्यादा मेहनत की। उसने पुस्तकालय में लंबी रातें बिताईं, अतिरिक्त सहायता के लिए प्रोफेसरों से मिला और खुद को ट्रैक पर रखने के लिए अध्ययन समूहों में शामिल हो गया ।
साजन की कड़ी मेहनत एक बार फिर रंग लाई और उसने सम्मान के साथ स्नातक किया। उसके हाथ में एक डिग्री थी और एक बायोडाटा था जिसने उसे नियोक्ताओं को नोटिस करने के लिए मजबूर किया। लेकिन उसे अभी भी लगा कि उसके पास अभी और हासिल करने के लिए काफी कुछ बाकि है।
इसलिए साजनने अपने लिए एक नया लक्ष तय किया , अपनी खुद की कंपनी शुरू करना। वह जानता था कि बिसनेस एक जोखिम भरा प्रयास है, लेकिन वह अपने मालिक होने और कुछ सार्थक बनाने की संभावना को लेकर उत्साहित था। उसने बाजार पर काफी गहरीशोध की , व्यवसाय योजना लिखने और संभावित निवेशकों के साथ नेटवर्किंग करने में महीनों बिताए।
अंत में, अपने 25वें वर्ष के अंत तक , साजनने अपना व्यवसाय शुरू किया। यह आसान नहीं था; देर रातें, लंबे दिन और बहुत सारी असफलताएँ थीं। लेकिन साजनने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, चुनौतियों को स्वीकार किया और अपनी टीम को एक समान लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए तैयार किया।
यह रातोंरात मिली सफलता नहीं थी, लेकिन साजनकी कड़ी मेहनत एक बार फिर रंग लाई। उसका व्यवसाय फला-फूला और वो अपने उद्योग में एक सम्मानित लीडर बन गया । उसने कई लोगो को नौकरियां दी , अपने समुदाय की मदद की और जो वह कर रहा था, उसमें उसे संतुष्टि मिली।
अपनी यात्रा पर पीछे मुड़कर देखते हुए, साजनने महसूस किया कि उसकी सफलता की कुंजी उसका हार मानने से इंकार करना था। वह कम में समझौता कर सकता था, लेकिन वह जानता था कि महानता संभव है और वह इसके लिए हर दिन लड़ता था। उसने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम किया और ऐसा करके उसने साबित कर दिया कि पर्याप्त प्रयास और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी कुछ महान हासिल कर सकता है।
अब, साजन शाह देश भर के युवाओं से बात करता है, उन्हें अपने सपनों को आगे बढ़ाने और कभी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करता है। वह उन्हें अपने संघर्षों, अपनी असफलताओं और उस हर समय के बारे में बताता है जब वह छोड़ सकता था लेकिन नहीं छोड़ा । वह उन्हें याद दिलाता है कि महानता संभव है, लेकिन इसके लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और हार न मानने की आवश्यकता होती है।
और उन शब्दों के साथ, वह एक नई पीढ़ी को बाहर जाने और कुछ महान हासिल करने के लिए प्रेरित करता हैं। डर या संदेह को कभी भी अपने आप को रोके रखने का मौका न दें। जीवन में हमेशा खुद पर भरोसा रखें और अपने सपनों को कभी न छोड़ें।
उम्मीद करता हूं दोस्तों की आपको विद्यार्थियों के लिए यह वीडियो बनाई यह प्रेरक कहानी पसंद आई होगी वैसे तो यह कहानी हर किसी को प्रेरणा दे सकती है क्योंकि सबके लिए जीवन में आगे बढ़ते रहना उतना ही जरूरी है जितना विद्यार्थियों के लिए और उसका एक ही नियम है कि कभी हार मत मानो। ऐसी मोटिवेशनल स्टोरी देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करके वीडियो को लाइक व दोस्तों में शेयर करें और कमेंट में बताएं यह स्टोरी आपके लिए कैसी लगी धन्यवाद जय भारत वंदे मातरम|
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आपको अपने लक्ष्य तक ले जाने के लिए मजबूर कर देगी हिंदी कहानी|motivation story in Hindi ||
कहानियाँ जो आपको अपने लक्ष्य तक ले जाने के लिए मजबूर कर देगी
1. सफलता का रहस्य - सुकरात
एक बार एक व्यक्ति ने महान दार्शनिक सुकरात से पूछा कि "सफलता का रहस्य क्या है?"- सफलता का राज क्या है?
सुकरात ने उस इंसान से कहा कि वह कल सुबह नदी के पास मिला, जहां उसे अपने प्रश्न का उत्तर मिला।
दूसरे दिन सुबह जब वह एक व्यक्ति नदी के पास मिला तो सुकरात नेसे नदी में उतरकर, नदी की गहराई के बारे में बताया।
वह व्यक्ति नदी में उतरकर आगे की तरफ जाने लगा|जैसे ही पानी उस व्यक्ति के नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने अचानक अपने मुंह में पानी डाला।वह व्यक्ति बाहर नौका के लिए झटपटाने लगा, प्रयास करने लगा लेकिन सुकराट काफी हद तक मजबूत थे।सुकरात ने उन्हें काफी देर तक पानी में डब्बे में रखा।
कुछ समय बाद सुकरत ने उसे छोड़ दिया और उस व्यक्ति ने जल्दी-जल्दी मुंह में पानी भरकर बाहर ले जाकर जल्दी-जल्दी सांस ली।
सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा - "जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?"व्यक्ति ने कहा – “जल्दी से बाहर की ओर सांस लेना चाहता था।”
सुकरात ने कहा - ''यही फ़ेस प्रश्न का उत्तर है।जब तुम्हें सफलता मिलती है तो तुम्हारी सफलता निश्चित रूप से मिल जाएगी।
2.अभ्यास का महत्व
प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में ही पढ़ते थे।बच्चे को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए गुरुकुल में भेजा गया।बच्चे को गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम में देखभाल की जाती थी।और भी अध्ययन किया।
वरदराज को सभी प्रकार के गुरुकुल द्वारा भेजा गया।आश्रम में अपने साथियों के साथ वहाँ मिलना हुआ।
लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही ख़राब था।गुरुजी की कोई भी बात उनकी बहुत कम समझ में आती थी।इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।
उसके सभी दोस्त अगली कक्षा में चले गए लेकिन वे आगे नहीं बढ़े।
गुरुजी ने भी आख़िरकार हार मानकर उससे कहा, “बेटा वरदराज़!मैं सारा प्रयास करके देख लेता हूं।अब यही होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो।अपने घर चले जाओ और दोस्तों की काम में मदद करो।"
वरदराज ने भी सोचा था कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं है।और भारी मन गुरुकुल से घर के लिए निकल गया।दो का समय था.रास्ते में उसे प्यास लग गई।इधर उधर देखने पर पता चला कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कहानियों से पानी भर रही थीं।वह कुवे के पास गया।
वहाँ पेप पर बैल के आने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान तुमने कैसे बनाया।”
तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमें नहीं चाहिए।”यह तो पानी खींचते समय इस कोमल भालू के बार-बार आने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए।"
वरदाराज सोच में पड़ गया।उन्होंने विचार किया कि जब एक कोमल से भालू के बार-बार आने से एक ठोस पत्थर पर गहरा निशान बन सकता है तो निरंतर अभ्यास से विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकते।
वरदराज पूरे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आये और काफी कड़ी मेहनत की।गुरुजी ने भी दी खुशी, उत्साहवर्धक सहायता।कुछ ही प्राचीन बाद येही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे आश्रम संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना।जो लघुसिद्धा जीनोमकौमुदी, रशीदसिद्धा डेवलपरकौमुदी, सारसिधा सिद्धार्थकौमुदी, गिर्वानपदमंजरी की रचना की।
शिक्षा(नैतिक):
दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या है।यह आपका हर सपने को पूरा करेगा।अभ्यास बहुत जरूरी है कि कागज़ वो खेल हो जो पढ़ाई में या किसी अन्य चीज़ में हो।बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते।यदि आप अभ्यास के बिना केवल योग्यता के साथ बैठे रहेंगे, तो अंतिम रूप से मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगाऊंगा।अभ्यास के साथ धैर्य, मेहनत और लगन के साथ आप अपनी मंजिल को पाने के लिए निकल पड़ें।
3. नवोन्वेष बिंद्रा: जिद और जुनून ने मॅक्स गोल्ड
ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल मिलने से हर भारतवासी खुशी से झूम उठा।बिंद्रा की जिद और पैस ने उन्हें इस जगह पर पहुंचाया है।बैंकॉक में आयोजित वर्ल्ड शूटिंग रैंकिंग में बिंद्रा की टीम के साथ काम करने वाले राष्ट्रीय स्टूडियो में श्वेता चौधरी ने कहा कि बिंद्रा ने जो कहा, वह दिखावा कर रहे हैं।ओलम्पिक टीम की ओर से ब्राइट मीडियम ऑर्क ने जगह बनाई नाकाम रूक में।श्वेता ने बताया कि बिंद्रा ओलंपिक गोल्ड के लिए पिछले चार साल से लगातार मेहनत कर रहे थे।बिंद्रा ने जो कहा, उसने दिखाया।
ऐसी बदली दुनिया में श्वेता बताती हैं कि एथेंस ओलिंपिक के बाद अभिनव के व्यवहार में चेन्ज आईं।एथेंस ओलम्पिक में पदक हासिल न करने के बाद ही उन्होंने कहा कि उन्हें अगला मौका (बीजिंग ओलम्पिक) नहीं मिलेगा।एक स्मरण सुनाते हुए श्वेता ने कहा कि जब बैंकॉक में विश्व रैंकिंग के दौरान भारतीय टीम के अन्य खिलाड़ी शाम को सिटी घूमने गए थे, तो बिंद्रा जिम में बेवकूफ बना रहे थे।एथेंस ओलिंपिक में इनोवेटिव इनोवेटिव को मेडल नहीं मिलने का सदमा ऐसा लगा कि उनके व्यवहार में काफी बदलाव आ गया।उसके बाद से वह आरक्षित रहने लगा।इससे पहले वह साथियों के बीच ग्यान-हंसी-मज़ाक करते थे।इसके बाद वह कॉन्स्टेंटिस्टा में प्रशिक्षु अभ्यास करने लगे।
श्वेता ने बताया कि बिंद्रा ने खुद को अपने लिए प्राइवेट कोच, पैडकोलॉजिस्ट व फिजियो नियुक्त किया था।इसके बावजूद, छोटे एलिज़ाबेथ ने अपने मेडल एन रेज़्यूमे में कई बार अपनी आलोचना भी की है, लेकिन अध्ययन करने वालों को पता था कि इनोवेशन में वह क्षमता है, जो बड़ी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए बोलते हैं।उनकी साखी ओलम्पिक ही थी। कृपया चैनल को सब्सक्राइब कर वीडियो को लाइक व दोस्तों में शेयर करें
4. भारत रत्न प्राप्त डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के एक गाँव धनुरामकोडी में हुआ था।इनके पिता, व्यवसायी को नाव किराए पर दी गई थी।कलाम ने अपनी पढ़ाई के लिए धन की प्राप्ति के लिए पेपर पत्रिका का काम भी किया।डॉ.कलाम ने जीवन में कई उपन्यासों का सामना किया।उनका जीवन सदा संघर्षशील रहने वाले एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने मनी नहीं खोई और देशहित में अपना सर्वस्व न्योछावर करते रहे, सदा उत्कृष्टता के पथ पर बने रहे।71 साल की उम्र में भी वे काफी मेहनत करते हुए भारत को सुपर पावर बनाने की ओर प्रयासरत थे।
भारत रत्न डॉ.अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने।वे भारत रत्न से सम्मानित होने वाले तीसरे राष्ट्रपति हैं।भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक, डॉ.कलाम ने देशों को 'अग्नि' और 'पृथ्वी' जैसी मिसाइलों को डेक, चीन और पाकिस्तान को यूक्रेनी रेंज में, दुनिया को चौंका दिया।
एक बार एयरफोर्स के पाइलेट के साक्षात्कार में 9वें नंबर पर आने के कारण (कुल आठ ऑर्केस्ट्रा का चयन करना था) उन्हें निराश होना पड़ा।
वे ऋषिनाथ बाबा शिबानंद के पास चले गए और उनकी व्यथा देखी।
बाबा ने उनसे कहा:-
अपने भाग्य को स्वीकार करें और अपने जीवन के साथ आगे बढ़ें।एयरफोर्स पायलट बनना आपकी किस्मत में नहीं है।आपका क्या बनना तय है यह अभी प्रकट नहीं हुआ है लेकिन यह पूर्व निर्धारित है।इस विफलता को भूल जाओ, क्योंकि यह तुम्हें तुम्हारे अस्तित्व तक ले जाने के लिए आवश्यक थी।अपने आप में एक हो जाओ, मेरे बेटे।अपने आप को ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित कर दो।
बाबा शिवानंद के कथन का अर्थ यह था कि दुर्भाग्य से निराश होने की आवश्यकता नहीं है।यह आपकी दूसरी सफलताओं का द्वार खोल सकता है।पृष्ठभूख जीवन में पता लगाना है, इसका पता नहीं।आप कर्म करो, ईश्वर पर विश्वास करो।
डॉ.कलाम का जीवन, हर उस नवयुवक के लिए आदर्श प्रेरणा स्रोत है, जो अपने जीवन में एक असफल मुलाकात पर ही निराश हो जाते हैं।डॉ.कलाम ने अपने संपूर्ण जीवन में निःस्वार्थ सेवा कार्य किया।उनके राष्ट्र प्रेम और देश का जज्बा हर भारतीय के लिए सबक और प्रेरणा का पुंज है और हमेशा रहेगा।
5. महान गणितज्ञ रामानुजन: धुन के पक्के
रामानुजन का जन्म एक गरीब परिवार में 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के शहर में हुआ था।उनके पिता एक बेरोजगारी की दुकान पर क्लर्क का काम करते थे।रामानुजन के जीवन पर उनकी माँ का बहुत प्रभाव था।जब वे 11 वर्ष के थे, तब उन्होंने एसएल लोनी द्वारा गणित की किताब की पूरी मास्टरी कर ली थी।गणित का ज्ञान तो उन्हें ईश्वर के यहाँ से ही मिला था।14 साल की उम्र में उन्हें मेरिट सर्टिफिकेट और कई अवॉर्ड मिले।वर्ष 1904 में जब वे टाउन इन्स्टाग्राम से स्नातक पास की, तो उन्हें के।रंगनाथ राव पुरस्कार, लालची कृष्ण स्वामी अय्यर द्वारा प्रदान किया गया।
साल 1909 में उनकी शादी हुई, उसके बाद साल 1910 में उनका एक ऑपरेशन हुआ।युवाओं के पास उनका ऑपरेशन कौशल पर्याप्त राशि नहीं था।एक डॉक्टर ने उनका फ्री में यह ऑपरेशन किया था।इस ऑपरेशन के बाद रामानुजन की नौकरी की तलाश में छोड़ दिया गया।वे मद्रास में जगह-जगह नौकरी के लिए घूमते हैं।इसके लिए उन्होंने निशान भी लगाए।वे पुनः बीमार पड़ गए।
इसी बीच वे गणित में अपना कार्य करते रहे।ठीक होने के बाद, उनके संपर्क नेलौर के जिला रजिस्ट्रार-रामचंद्र राव से हुए।वह रामानुजन के गणित कार्य से अत्यंत प्रभावित हुए।उन्होंने रामानुजन की आर्थिक मदद भी की।
वर्ष 1912 में उन्हें मद्रास के प्रमुख अकौंटेंट कार्यालय में क्लर्क की नौकरी भी मिल गई।वे ऑफिस का कार्य शीघ्र पूरा करने के बाद, गणित का अध्ययन करते रहे, इसके बाद वे इंग्लैंड चले गए।वहां उनके काम को काफी सराहना मिली।उनके गणित के अनुठे ज्ञान को बहुत अच्छा रिकॉर्ड मिला।
वर्ष 1918 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज का फेलो (ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज का फेलो) चुना गया।वह पहले भारतीय थे, जिसमें इस सम्मान (पद) के लिए चयन किया गया था।बहुत मेहनत और धुन के पक्के थे।कोई भी विषम परिस्थिति, आर्थिक कठिनाइयाँ, बीमारी एवं अन्य परेशानियाँ उन्हें अपनी 'धुन' से नहीं दूँगा।वे अन्ततः सफल हुए।
आज उन्हें विश्व के महान गणितज्ञों में शामिल किया गया है।32 साल की छोटी सी उम्र में ही हो गया था इस साज़िश व्यक्तित्व का देहवासन।दुनिया ने एक महान गणितज्ञ को खो दिया। हमारी ये "वास्तविक जीवन प्रेरणादायक कहानियाँ हिंदी में आपको कैसी लगी? चैनल को सब्सक्राइब करके कमेंट में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें!
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ऐसी कहानी की इंसान के जीवन को ही बदल दिया| motivation story in Hindi
हिन्दी कहानी (Best motivational story in Hindi) 1
एक कॉलेज में तीन दोस्त पढ़ते थे, उनमें से एक का नाम रहता है धन, एक का नाम रहता है ज्ञान और एक का नाम रहता है विश्वास।
तीनों दोस्त हमेशा एक दूसरे के साथ रहते हैं "थ्री ईडियट" की तरह, उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की।
ए क दिन दोस्तों के बिछड़ने का टाइम आ जाता है तो तीनो एक दूसरे से सवाल करते है ज्ञान ने धन से पूछा तुम कहांमिलोगे क्यूँकि इतनी गहरी दोस्ती अगर याद आए तो हम कहां मिलेंगे।
तो धन ने कहा की में अमीरों के पास मिलूँगा मेहनती व्यक्ति के पास मिलूँगा, जब ज्ञान से पूछा तुम कहां मिलोगे, तो ज्ञान ने कहा की मैं कॉलेज स्कूल, यूनिवर्सिटी, गुरुकुल, ट्यूशन क्लासेस में मिल जाऊँगा।
ज ब विश्वास से दोनो ने पूछा की तुम कहां मिलोगे तो विश्वास ने सिर झुका लिया आँखों से आँसू निकल आए ज्ञान और विश्वास कहने लगे की अपना पता बताने में झिझक रहे हो हमारा पता तो पूछ लिया लेकिन अपना पता बता नहीं रहे हो।
विश्वास ने बड़े भावुक हो कर कहा दोस्त मेरी एक फितरत है अगर में चला जाऊँ तो में वापिस नही आता तो उसी समय धन और ज्ञान खड़े हो जाते हैं और विश्वास का हाथ पकड़ कर कहते है की हमारा तुमसे वादा है जहाँ तुम रहोगे वहीं हम दोनों होंगे और जहां तुम नहीं होगे वहाँ हम दोनो भी नहीं होंगे।
इसलिये दोस्त ज़िंदगी में जहाँ विश्वाश है वहाँ होसला भी क़ायम है वहाँ धन भी आ जाता है वहाँ ज्ञान की भी कोई कमी नहीं रहती और ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए इन तीनों की बहुत ज़रूरत होती है।
हमारे अंदर जो विश्वास है वही हमको जीत दिलाएगा और हमारे लक्ष्य तक पहुचाएगा इसलिए आगे बढ़ने से पहले अपने विश्वाश को हाशिल कर लीजिए, क्यूंकि जब हमें विश्वास होगा तो हम ज्ञान भी हासिल कर लेंगे और उस ज्ञान की मदद से हम धन भी हासिल कर लेंगे।
जो भी काम कर रहे उस पर अपना 100 % दीजिए और विश्वास के साथ उस काम को कीजिए क्यूँकि ज़िंदगी की लड़ाइयाँ तेज़ और मज़बूत लोग नहीं जीतते बल्कि जीतते वही हैं जिनको विश्वाश होता है कि वह जीतेंगे।
समाज में भी हम देखते हैं कि आज कल लोग जमीन जायदाद का बटवारा करने में लगे रहते हैं, जैसे :- दो भाई हैं तो अपने पिता की जमीन को अलग अलग बांटने में लगे रहते हैं क्योंकि एक दूसरे पर विश्वास नहीं होता इसीलिए उन्हें अपनी जमीन का बंटवारा करना पड़ता है और धीरे धीरे उनके पास धन सम्पत्ति की कमी होने लगती है,
लेकिन जिन परिवारों में विश्वास होता है भाई भाई में प्रेम और विश्वास होता है तो भले ही उनके पास पहले धन न हो बाद में बहुत धन सम्पदा आने लगती है इसीलिए हमें हमेशा अपने परिवार में और खुद पर विश्वास करना चाहिए। ऐसी स्टोरी देखने के लिए चैनल के लिए सब्सक्राइब करें
सीख (Moral of the story) -
जो भी काम कर रहे हैं उस पर अपना 100 % दीजिए और विश्वास के साथ उस काम को कीजिए क्यूँकि ज़िंदगी की लड़ाइयाँ तेज़ और मज़बूत लोग नहीं जीतते बल्कि जीतते वही हैं जिनको विश्वाश होता है कि वह जीतेंगे।
जिस भी फील्ड में हम काम कर रहें हैं जैसे:- नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस, यूटूबर या कोई भी बिजनेस जो भी हम कर रहे हैं उस पर हमें खुद पर विश्वास होना चाहिए।
फुटबॉल की दर्दनाक कहानी 2
Life changing motivation story in Hindi
हिन्दी कहानी (Best motivational story in Hindi) 2
एक बार क्या होता है की खिलाड़ी फ़ुट्बॉल खेल रहे होते हैं और बहुत सारे लोग उनको देख रहे होते है, एक छोटा सा बच्चा भी उनको देख रहा होता है पर उसके चेहरे पर बड़ी मायूसी होती है एक बुज़ुर्ग वहाँ से निकलते तो उससे पूछते है बेटा तू परेशान क्यूं है।
इतना मायूस क्यूंहै तो वो बच्चा कहता मुझे समझ नहीं आता इस बॉल ने इनका क्या बिगाड़ा है? इतनी ठोकरें मार रहे हैं इतनी ठोकरें इसको पड़ रही हैंये किस जन्म का बदला ले रहे हैंइसको क्यूंइतनी लाते मार रहे हैं।
बुज़ुर्ग ने बच्चे के सिर पर हाथ रखा औरबोले बेटा इस बॉलका सिर्फ़ इतना क़सूर है की ये अंदर से खोकला है, इसीलिए ये सब लोग इसको लातों से मार रहे हैं।
दोस्तों जो इंसान अंदर से खोकला होता है ज़िंदगी भी उसे इसी तरह लाते मारती है इसलिए हमें रोज़ कुछ नया सीखते रहना चाइए।
अगर ज़िंदगी में तरक़्क़ी करना चाहते हैं, जो कामयाब व्यक्ति की तरह बनना चाहते हैं तो उस व्यक्ति ने क्या क्या सीखा किन रास्तों पर चला वह सब काम सीख लीजिए एक दिन आप भी कामयाब व्यक्ति बन जाएंगे।
सीख (Moral of the story)
जब तक आप अन्दर से खोखले बने रहोगे तब तक जिंदगी आप को ठोकरें मारती रहेगी, जिस दिन आपने खुद को अन्दर से मजबूत बना लिया तो सारी दुनिया आपको सलाम करेगीी।
खुद को मजबूत बनाने के लिए काम करो, खुद को ज्ञान से भरने के लिए अपने व्यापार से संबंधित किताबें पढ़ो, अपनी ताकत को पहचानो और अपने ज्ञान को बढाने के लिए लगातार प्रयास करते रहो।
कुछ बंदरों की जबरदस्त कहानी
Life changing motivational story in Hindi
Best motivational story in Hindi three
एक पेड़ था बहुत बड़ा उसके नीचे साधु महात्मा बैठते थे तो बंदर आ कर उन्हें परेशान करते थे साधु महात्मा ने एक दिन भविष्यवाणी की बोले ठीक कल दोपहर के बारह बजे जो भी बंदर इस तालाब में छलाँग लगाएगा वो आदमी बन जाएगा अगर फ़ीमेल बंदर है तो औरत बन जाएगी अगर मेल बंदर है तो आदमी बन जाएगा।
तो सारे बंदर कहने लगे हाँ कल बारह बजे मैं भी छलाँग लगाउँगा रात तक excitement बरक़रार थी जैसे ही सूर्य की किरणें निकली जो 500 बंदर थे उनमें से 250 ही रह गये कहते हैंहम नहि लगाएँगे ओर 250 कहते हैंहम तो लगाएँगे।
जैसे ही 10 बजे 50 रह गए उन्होंने कहा हम छलाँग लगाएँगे बाक़ी ने कहा हम नहीं लगाएँगे और जैसे ही 11 बजे 20 रह गए 11:30 बजे 15 रह गए 11:45 बजे तो सिर्फ 10 बंदर रह गए जैसे ही 12 बजे तो सिर्फ दो बंदर एक मेल और एक फ़ीमेल उन्होंने ही छलाँग मारी।
बाक़ी के पेड़ पर चढ़े तो थे लेकिन छलाँग नही मारी उन्होंने छलाँग मारी तो बंदर बन कर पानी में गए थे लेकिन बाहर निकले तो एक औरत और एक आदमी बन कर बाहर निकले बाबा जी का धन्यवाद किया।
दूसरे बंदर देखते रह गए जब बाबाजी ने बाकी के बंदरों से पूछा की तुमने छलाँग क्यों नहीं मारी तो कहते हैं की हमने सोचा इंसान ना बने तो, तो बाबाजी कहते हैं अगर पानी में छलांग लगाने के बाद तुम इंसान नहीं बनते तो क्या बंदर तो तुम थे ही।
सीख (Moral of the story)
सीख दोस्त हम अपनी लाइफ़ में डिसीजन तो ले लेते हैं पर उस पर ऐक्शन नहीं ले पाते तो हमें डिसीजन ले के उस पर ऐक्शन लेना ज़रूरी है।कई बार लोग सोचते हैं कि अगर हम बिजनेस करने में असफल हो गए तो, अगर हम बिजनेस में सफल नहीं हो पाए तो हम क्या करेंगे, हमें ये सोचना चाहिए अगर हम सफल नहीं हुए तो हम जिस पोजीशन पर हैं उस पर तो हम रहेंगे ही।हमें आगे बढने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए, हमें सफल होने का जो भी रास्ता मिले उस पर हमें एक बार जरूर चल कर देखना चाहिए प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करें वीडियो को लाइक व दोस्तों में शेयर करें | धन्यवाद
कहानी की इंसान के जीवन को ही बदल दिया
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जैसे कुछ तैसा ||Prerak kahani in Hindi || motivation story in Hindi
इस Prerak Kahaniya In Hindi में आप देखेंगे की एक टीचर और एक स्टूडेंट की कहानी। जो की दोनों एक सफर पे निकले हुए हैं। उनके साथ क्या-क्या होता है? चलिए जानते हैं।
एक बड़ी छोटी सी कहानी है, एक टीचर की! जो अपनेस्टूडेंटके साथ घूमने निकले थे। एक गांव से दूसरेगांवजाते हो और एकशहरसे दूसरे शहर जाते। यही उनकाघूमनेका तरीका था। जो कि घूमने निकले हुए थे तो जहां पर भी शाम में रुकते थे, वहां परप्रवचनदेते, और उससे ज्यादा बात नहीं करते।
क्योंकि उन्हेंशांतरहना पसंद था। लेकिन उनका जोस्टूडेंटथा उनकोदुनियाकी चीजों में और दुनिया की बातों में बड़ाइंटरेस्टथा।
दूसरों की जिंदगी मेंताका-झांकीकरने में यकीन रखता था और लोगों से ज्यादा सेज्यादा बातकरना उसे बहुत पसंद था। उस लड़के के टीचर को यह सब बातें पसंद नहीं थी। वह दूसरों कीजिंदगीमें ताका-झांकी करनापसंद नहींकरते थे।
वो अपने काम से काम रखते थे! और रास्ते पर चलते थे। एक सुबह निकले, वही अपनेसफ़रपर। और एकनदीकिनारे से उनका गुर्जर हुआ। उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जो हैमछलीपकड़ रहा था। वह तो चुपचाप निकल गए वहां से।
लेकिन उनका जोस्टूडेंटथा, उससे तो रहा नहीं गया। वह गया दौड़ करके मछुआरे के पास और उसकोअहिंसाका उपदेश देना शुरू कर दिया। तुमको हिंसा नहीं करना चाहिए! यह गलत काम है, यह है, वह है, ऐसे बोलने लगा।
बहुत देर तक उसे मछुआरे कोसमझतारहा। मछुआरे ने बहुत देर तक कुछरिएक्टनहीं किया, मतलब कुछबोलानहीं उसको। लेकिन जब वह स्टूडेंटबोलाही जा रहा था और ज्ञान परज्ञानदिए जा रहा था।
तो जो मछुआरा था वह फिर शुरू हो गया फिर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। वही कीमछुआरे ने कहा” यह मेरा काम है मुझे मेरा काम करने दो! तुम क्यों मेरे काम में टांग अड़ा रहे हो? ” धीरे-धीरे बहस बढ़ती गई औरझगड़ाशुरू हो गया।
वहटीचरआगे जा रहे थे, उन्होंने शोर सुना और पीछे मुड़कर देखा तो स्टूडेंट और मछुआरे का बहस शुरू हो चुका है। तो उन्होंने दौड़ कर आया और उस स्टूडेंट का हाथ पकड़ा और उसको खींच के वहां से लेकर चले गए। उन्हें अपने स्टूडेंट काहालतमालूम था।
उसे समझाने लगे, कि तुम क्योंउलझतेहो लोगों से!स्टूडेंटने कहा ” क्या आपने देखा नहीं टीचर जी! वह आदमी कोगलतकाम कर रहा है, मैं उसेशिक्षादे रहा हूं। की हिंसा नहीं करना चाहिए!अहिंसाका रास्ता अपनाओ। तो टीचर ने कहा ” तुम क्यों उसेशिक्षादे रहे हो, और तुम उसके पीछे क्यों पड़े हो? ” स्टूडेंट ने कहा ” मुझे उसेसमझानापड़ेगा, उसे तो कोईसजानहीं दे रहा है। यहां के राजा ने भी कोई ऐसा रूल नहीं रखा है, कि ऐसे लोगों कोसजादिया जाए! “
तो टीचर ने कहा ” यहां कोई किसी को सजा नहीं देगा! सजा तोखुदादेगा। तुम्हें किसी कोसजादेने की जरूरत नहीं और तुम्हें किसी कोसमझानेकी जरूरत नहीं है। ” स्टूडेंट ने कहा ” वह क्या किसी को सजा देगा! “
टीचर ने कहा “बस! वह वक्त आने पर वह अपनाफैसलासुना देता है! हमें इसमामलेमें पढ़ने की जरूरत नहीं है और हमें किसी सेझगड़ाकरने की जरूरत भी नहीं है।
फिर उनका स्टूडेंट चुप हो गया, टीचर ने समझाई थी बात इसलिए कुछ बोला नहीं। इस बात को 2 साल गुजर गए और कमल की बात यह है कि उसी रास्ते सेवापसजा रहे थे। वही सुबह का वक़्त था, पर नदी कानजाराबदला हुआ था।
स्टूडेंट देखता है की नदी के किनारे, एकसांपअपना जान बचाने के लिएतड़परहा है।चीटियांउसे नोच कर करके खा रहे हैं! स्टूडेंट को यह भी देखा नहीं गया और दौड़ कर गया उसे सांप कोबचानेके लिए।टीचरने फिर से हाथ पकड़ लिया और बोला ” नहीं! जो हो रहा है होने दो। ”
स्टूडेंट ने कहा आप मुझे अजीब तरह से पेश आ रहे हो। मैं कभीहिंसाकरने वाले को रोकता हूं, तब भी आप रोकते हो। और अभी किसी कीजानबचा रहा हूं, तब भी आप मना कर रहे हो।
टीचर ने कहा” मैंने कहा था ना वह खुदा अपना फैसला सुनाते हैं! अपना फैसला सुनने दो। ” , ” क्या तुम्हें याद है? यहीं से तो हम2 सालपहले गुजरे थे! यह जो सांप है यह मछुआरा है और यह जो चीटियां है यह मछलियां है, ये दूसरा जनम ले चुके हैं। अगर तुम इनको अभी रुकोगे तो फिर यह तीसरा जन्म लेगा अपना सजा भुगतने के लिए।“
एक छोटी सी कहानी इसका सार यह है कि " अगर हम अच्छा करेंगे, तो हमारे साथ अच्छा होता चला जाएगा। और अगर हम बुरा करेंगे, तो हमारे साथ बुरा होता चला जाएगा। याद रखिए आगे, पीछे, दाएं, और बाएं देखने की जरूरत नहीं है बल्कि ऊपर वाले को भी देखना जरूरी है, क्योंकि वह सब कुछ देखता है।
आपकोPrerak Kahaniya In Hindiकेसा लगा और आपको इस कहानी से और क्या सिख मिली? कमेंट में जरूर बताईये। और अनलिमिटेड स्टोरी वर्क चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले |
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मौत का डर क्या होता है जानिए रोचक कहानी|| Hindi motivation story
कहते हैं कि मौत का डर तो मौत से भी खतरनाक होता है परंतु हर बार नहीं। कई बार डर हमें मार देता है और कई बार डर हमें बचा भी लेता है। यह व्यक्ति के माइंड पर निर्भर करता है कि वह डर को किस तरह से लेता है। कहते हैं कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। इस संबंध में 3 कहानियां आपको प्रेरित कर सकती है।
पहली कहानी :कहते हैं कि अमेरिका में एक कैदी को फांसी की सजा दी तो डॉक्टरों ने जजों से कहाकि कैदी पर प्रयोग किया जाए फांसी के बजाए जहर देकर मारा जाए। ऐसा ही आदेश हुआ।...कैदी को बताया गया कि आपको फांसी नहीं कल सांप के जहर से मारने का आदेश हुआ है। रातभर कैदी सांप के जहर के बारे में सोचता रहा।
सुबह उसे एक कुर्सी पर बैठाकर उसे एक बड़ा जहरिला सांप दिखाया गया। कैदी उसको देखकर कांप गया। फिर उसके हाथ बांधकर उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई। इसके बाद उसे सांप से ना डसवा कर सेफ्टी पिन जोर से चुभाई गई। आश्चर्य यह हुआ कि उस सुई को चुभाते ही कुछ देर में ही तड़फ तड़प कर उस कैदी की मौत हो गई। इससे भी बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार कैदी के शरीर में सांप का जहर पाया गया। डॉक्टरों की टीम ने पुष्टि की ही इस कैदी की मृत्यु सांप के काटने से हुई है। सभी डॉक्टर्स यह देखकर आश्चर्य करने लगे और तब यह सिद्ध हुआ कि आदमी का डर क्या कर सकता है। डर के कारण उसके शरीर और मस्तिष्क ने उसी जहर का निर्माण कर दिया। मतलब कि उसके शरीर में उसी तरह के हर्मोंस निर्माण हुए। लगभग 90 प्रतिशत रोग सबसे पहले आपके मस्तिष्क में ही जन्म लेते हैं।
दूसरी कहानी :हिरण के दौड़ने की क्षमता करीब 90 किलोमीटर होती है और बाघ के दौड़ने की क्षमता करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। परंतु फिर भी बाघ हर बार हिरण का शिकार कर लेता है। ऐसा क्यों होता है? दरअसल, हिरण को मौत का डर रहता है और वह सोचता है कि मैं बाघ से जीत नहीं पाऊंगा।
तीसरी कहानी : एक व्यक्ति ने अपने सिद्ध गुरु से पूछा कि गुरुजी आपसे कोई पाप नहीं होता, आपको क्रोध नहीं आता और आप सदा प्रेमपूर्ण और शांत चित्त बने रहते हैं तो इसका राज क्या है? उसके सिद्ध गुरु ने एकदम से व्यवहार बदलते हुए कहा, यह बात तो छोड़ों मैं तुम्हें एक दु:खद सूचना देना चाहता हूं। उसने कहा, क्या गुरुजी। गुरुजी ने कहा कि आज से ठीक तीसरे दिन शाम को तुम्हारी मौत हो जाएगी। यह सुनकर तो उसके पैरों के नीचे से जमीन हिल गई। वह रोने लगा। गुरुजी ने कहा कि अब तुम देख लो तुम्हें क्या करना है।
व्यक्ति वहां से चला गया और फिर उसने जिस-जिस का भी दिल दुखाया था उन सभी से माफी मांगी। अपने माता-पिता, भाई-बहन और बेटा-बेटी-पत्नी सभी से प्यार करने लगा। पहले दिन तो उसका यही कार्य चलता रहा, माफी मांगना और लोगों से प्यार से पेश आना। दूसरे दिन उसने गरीब लोगों को खाना बांटा और अपने रिश्तेदारों को बुलाकर उन्हें कई उपहार देकर उन्हें भी तृप्त किया। तीसरे दिन वह शांति से घर पर रहा और ध्यान एवं भजन करता रहा। अब वह खुश था कि चलो मैंने लोगों के लिए तो कुछ किया। अपनी गलतियों को सुधार लिया।
तीसरे दिन शाम को उसके गुरुजी आए और उससे पूछने लगे कि बताओ इन तीन दिनों में तुमने कोई गलत कार्य तो नहीं किया, कोई पाप तो नहीं किया, किसी का दिल तो नहीं दुखाया?
वह कहने लगा- गुरुजी आप कैसी बातें करते हैं, मौत सिर पर खड़ी है तो ऐसे में मैं भला क्या किसी के साथ गलत व्यवहार करूंगा? नहीं गुरुजी! आज तीसरे दिन में बहुत शांत हूं और अब मुझे इस बात का सुकून मिलेगा कि मैंने सभी के लिए कुछ ना कुछ किया और कोई हिसाब-किताब बाकी नहीं रखा।
गुरुजी मुस्कुराकर बोले कि यही तुम्हारे सवाल का जवाब है। तीन दिन पहले तुमने मुझसे पूछा था कि आपसे कोई पाप नहीं होता, आपको क्रोध नहीं आता और आप सदा प्रेमपूर्ण और शांत चित्त बने रहते हैं तो इसका राज क्या है?...बेटे एक-ना-एक-दिन सभी को मरना ही है लेकिन तुम इसे गहराई से समझते नहीं और मैं समझता हूं कि आज जिसे में देख रहा हूं, सुन रहा हूं एक-ना-एक-दिन वे सभी मुझसे दूर चले जाएंगे। तुम निश्चिंत रहे अभी तुम मरने वाले नहीं हो।
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गौतम बुद्ध की छोटी सी बात ने पूरा जीवन बदल दिया|| motivation Hindi story video
गौतम बुद्ध जिन्हें हम सिद्धार्थ के नाम से भी जानते हैं, उनका प्रवचन चल रहा था। एक व्यक्ति हर रोज प्रवचन सुनने आता था। बुद्ध अपने प्रवचन में लोभ, मोह, अहंकार, द्वेष आदि छोड़ने की बात किया करते थे। एक दिन वह व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास आकर बोला, ‘बुद्ध जी, मैं एक महीने से आपका प्रवचन रोज सुन रहा हूं परंतु मुझ पर उसका कोई असर नहीं हो रहा है। क्या मुझमें कोई कमी है, या उसका कोई कारण है?’ तब बुद्ध ने उस व्यक्ति से पूछा, ‘तुम कहां रहते हो?’ उसने उत्तर दिया- श्रावस्ती।
फिर पूछा, ‘तुम श्रावस्ती अपने गांव कैसे जाते हो?’ उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘कभी बैलगाड़ी से और कभी घोड़े से जाता हूं।’ बुद्ध ने फिर से उस व्यक्ति से प्रश्न किया- तुम्हें श्रावस्ती पहुंचने में कितना समय लगता है? तब उसने समय का हिसाब लगाकर बताया। बुद्ध ने उस व्यक्ति से पूछा अब यहां बैठे, क्या तुम श्रावस्ती पहुंच सकते हो? वह आश्चर्यचकित हुआ और बोला, ‘यहां बैठे भला मैं कैसे श्रावस्ती पहुंच सकता हूं? इसके लिए मुझे चलना पड़ेगा या फिर किसी वाहन का सहारा लेना पड़ेगा।’ म बिल्कुल सही कह रहे हो कि व्यक्ति चलकर ही अपनी मंजिल पर पहुंच सकता है। उसी तरह जो अच्छी बातें होती हैं, पहले उन्हें अपने जीवन में उतारना होता है और उनका अनुसरण करना पड़ता है। उसके अनुसार आचरण भी करना होता है।’ बुद्ध की यह बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा, ‘अब मैं अपनी भूल समझ गया। आपने जो मार्ग बताया, उस पर आज से ही चलूंगा।’ बुद्ध ने उस व्यक्ति को आशीर्वाद दिया। आशय यह है कि ज्ञान कोई भी हो वह तभी सार्थक होता है, जब उसको व्यावहारिक रूप में जीवन में उतारा जाता है। केवल प्रवचन सुनने या उसका अध्ययन करने से कुप्राप्त नहीं होता है।
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सीखे खुद को बस में करना? गौतम बुद्ध की कहानी ||
Gautam Buddha Inspirational Story:एक बार गौतम बुद्ध एक शहर में प्रवास कर रहे थे। उनके साथ कुछ शिष्य भी थे। एक दिन उनके शिष्य शहर में घूमने के लिए निकले। वे शहर में घूम ही रहे थे कि तभी शहर के कुछ लोगों ने उन्हें अपशब्द कहे। उनके बुरे शब्दों को सुनकर शिष्यों को बहुत बुरा लगा और वे वापस लौट गए। बुद्ध ने देखा कि शहर से लौट कर आए उनके सभी शिष्य बहुत क्रोध में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने शिष्यों से पूछा, ‘‘क्या बात है, आप इतने तनाव में क्यों हैं?’’
तभी एक शिष्य क्रोध में बोला, ‘‘हमें यहां से तुरन्त चलना चाहिए। जब हम बाहर शहर में घूमने गए थे तो यहां के लोगों ने बिना वजह हमें बहुत बुरा-भला कहा।’’ जिस जगह हमारा सम्मान नहीं हो, वहां हमें नहीं रहना चाहिए।
बुद्ध ने कहा, ‘‘क्या ! किसी और जगह तुम अच्छे व्यवहार की अपेक्षा रखते हो?’’दूसरे शिष्य ने कहा, ‘‘इस शहर से तो अच्छे लोग ही होंगे।’’
तब गौतम बुद्ध बोले, ‘‘किसी जगह को सिर्फ इसलिए छोड़ देना ठीक नहीं कि वहां के लोग बुरा व्यवहार करते हैं। हमें तो कुछ ऐसा करना चाहिए कि जिस स्थान पर भी जाएं, उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ें, जब तक अपनी अच्छाइयों से वहां के लोगों को सुधार न दें। हम जिस भी स्थान पर जाएं, वहां के लोगों का कुछ न कुछ भला करके ही वापस लौटें।’’
बुद्ध ने कहा, ‘‘जिस प्रकार युद्ध में बढ़ता हुआ हाथी चारों तरफ के तीर सहते हुए भी आगे बढ़ता जाता है, ठीक उसी तरह उत्तम व्यक्ति भी दूसरों के अपशब्दों को सहते हुए अच्छे कार्य करता रहता है। खुद को वश में करने वाले प्राणी से उत्तम कोई और नहीं हो सकता।’’बुद्ध की बात शिष्यों को अच्छी तरह से समझ में आ गई और उन्होंने वहां से जाने का इरादा त्याग दिया।
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जीवन में लक्ष्यों को कैसे करें हासिल? भगवान बुद्ध से जुड़ी प्रेरक कथा ||Motivation Hindi Story||
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को निर्धारित करता है जिससे वह अपनी योग्यता और अपनी प्रगति की परख करता है। यदि लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं तो वह अपनी कमियों को देखता है उसमें सुधार करता है।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को निर्धारित करता है, जिससे वह अपनी योग्यता और अपनी प्रगति की परख करता है। यदि लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं तो वह अपनी कमियों को देखता है, उसमें सुधार करता है और फिर उन लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करता है। कई लोग अपने लिए लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं और उसको पाने के लिए रणनीति भी बनाते हैं लेकिन वे असफल होते हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम भगवान बुद्ध से जुड़ी एक प्रेरक घटना के बारे में बता रहे हैं, जिसमें आपके लिए एक संदेश है।
भगवान बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हो गई, तो फिर वे संसार को उस ज्ञान से आलोकित करने निकल पड़ें। भगवान बुद्ध किसी गांव में जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रतिदिन व्याख्यान देते। उनके प्रवचनों में जीवन का सार छिपा रहता। उनकी बातों को लोग बहुत ही गौर से सुनते थे। एक व्यक्ति बिना नागा किए उनके व्याख्यान सुनता।
काफी समय बीत जाने के बाद भी उसने अपने अंदर कोई विशेष बदलाव नहीं पाया है। इससे परेशान होकर वह एक दिन बुद्ध के पास गया और बोला कि वह लंबे समय से एक अच्छा इंसान बनने के लिए उनके प्रवचनों को सुनता रहा है। लेकिन इससे उसे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। वह एक अच्छा इंसान नहीं बन पाया। उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
उसकी बातों को सुनकर बुद्ध मुस्कुराए। उन्होंने उसके सामने उसके गांव का नाम, वहां तक की दूरी, वह वहां कैसे जाता है, आदि जैसे प्रश्नों की झड़ी लगा दी। जब बुद्ध ने उससे कहा कि क्या वह यहां से बैठे-बैठे अपने गांव पहुंच जाएगा, तो वह झुंझला गया। उसने कहा कि ऐसा तो बिलकुल भी संभव नहीं। उसे वहां तक पहुंचने के लिए पैदल चलकर जाना ही होगा।
इस पर भगवान बुद्ध ने कहा कि अब आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। यदि आपको अपने गांव का रास्ता पता है, लेकिन इस जानकारी को व्यवहार में लाए बिना वहां नहीं पहुंचा जा सकता है। उसी प्रकार यदि आपके पास ज्ञान है और आप इसको अपने जीवन में अमल में लाए बिना एक बढि़या इंसान नहीं बन सकते। ज्ञान को अपने व्यवहार में लाना आवश्यक है। इसके लिए आपको दृढ़ निश्चय के साथ निरंतर प्रयास करना होगा।
ज्ञान को व्यवहार में लाए बिना लक्ष्य की प्राप्ति नहीं की जा सकती है।
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जीवन में लक्ष्यों को कैसे करें हासिल? भगवान बुद्ध से जुड़ी प्रेरक कथा ||Motivation Hindi Story||
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को निर्धारित करता है जिससे वह अपनी योग्यता और अपनी प्रगति की परख करता है। यदि लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं तो वह अपनी कमियों को देखता है उसमें सुधार करता है।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को निर्धारित करता है, जिससे वह अपनी योग्यता और अपनी प्रगति की परख करता है। यदि लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं तो वह अपनी कमियों को देखता है, उसमें सुधार करता है और फिर उन लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करता है। कई लोग अपने लिए लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं और उसको पाने के लिए रणनीति भी बनाते हैं लेकिन वे असफल होते हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम भगवान बुद्ध से जुड़ी एक प्रेरक घटना के बारे में बता रहे हैं, जिसमें आपके लिए एक संदेश है।
भगवान बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हो गई, तो फिर वे संसार को उस ज्ञान से आलोकित करने निकल पड़ें। भगवान बुद्ध किसी गांव में जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रतिदिन व्याख्यान देते। उनके प्रवचनों में जीवन का सार छिपा रहता। उनकी बातों को लोग बहुत ही गौर से सुनते थे। एक व्यक्ति बिना नागा किए उनके व्याख्यान सुनता।
काफी समय बीत जाने के बाद भी उसने अपने अंदर कोई विशेष बदलाव नहीं पाया है। इससे परेशान होकर वह एक दिन बुद्ध के पास गया और बोला कि वह लंबे समय से एक अच्छा इंसान बनने के लिए उनके प्रवचनों को सुनता रहा है। लेकिन इससे उसे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। वह एक अच्छा इंसान नहीं बन पाया। उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
उसकी बातों को सुनकर बुद्ध मुस्कुराए। उन्होंने उसके सामने उसके गांव का नाम, वहां तक की दूरी, वह वहां कैसे जाता है, आदि जैसे प्रश्नों की झड़ी लगा दी। जब बुद्ध ने उससे कहा कि क्या वह यहां से बैठे-बैठे अपने गांव पहुंच जाएगा, तो वह झुंझला गया। उसने कहा कि ऐसा तो बिलकुल भी संभव नहीं। उसे वहां तक पहुंचने के लिए पैदल चलकर जाना ही होगा।
इस पर भगवान बुद्ध ने कहा कि अब आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। यदि आपको अपने गांव का रास्ता पता है, लेकिन इस जानकारी को व्यवहार में लाए बिना वहां नहीं पहुंचा जा सकता है। उसी प्रकार यदि आपके पास ज्ञान है और आप इसको अपने जीवन में अमल में लाए बिना एक बढि़या इंसान नहीं बन सकते। ज्ञान को अपने व्यवहार में लाना आवश्यक है। इसके लिए आपको दृढ़ निश्चय के साथ निरंतर प्रयास करना होगा।
ज्ञान को व्यवहार में लाए बिना लक्ष्य की प्राप्ति नहीं की जा सकती है।
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क्यों कोशिशों के बावजूद सफलता रहती है दूर जाने सही दिशा/
भगवान गौतम बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक कहा जाता है. उन्होंने अपने विचार और वाणी से दुनिया को शांति और अंहिसा का पाठ पढाया. बुद्ध सत्य, सदर्श व धर्म पर दृढ़ रहने की बात कहते हैं.
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध के अनमोल विचारों से व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने की प्रेरणा मिलती है. यही कारण है कि भारत समेत दुनियाभर में बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं. गौतम बुद्ध से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जिससे जीवन में सफलता ने नए और सटीक मार्ग प्रशस्त होते हैं.
सफलता शब्द हर किसी को लुभाती है और हर कोई सफलता को प्राप्त करना चाहता है, लेकिन सफलता हर किसी को नहीं मिल पाती. लेकिन आपने सोचा है कि आखिर इसका कारण क्या है. इसका जवाब आपको गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी इस कहानी से मिलेगा. इस कहानी के माध्यम से आप यह जान पाएंगे कि, सफलता के लिए किए जाने वाले प्रयासों में हमसे कहां चूक हो जाती है, जिस कारण असफलता का सामना करना पड़ता है.सफलता से जुड़ी गौतम बुद्ध की कहानी
एक बार गौतम बुद्ध अपने भिक्षुओं के साथ एक गांव से गुजर रहे थे. उस गांव में पानी की व्यवस्था न होने के कारण लोग परेशान थे. गांव के लोगों को पानी लाने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था. गांव के निकट बहुत बड़ा मैदान था, जिसमे छोटे-छोटे बहुत सारे गड्ढे खुदे हुए थे. एक भिक्षु ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए गौतम बुद्ध से पूछा कि, गांव के इस मैदान में जो इतने सारे गड्ढे खुदे हुए हैं आखिर उनका क्या उपयोग है?
बुद्ध ने मुस्कुराते हुए अपने भिक्षु को जवाब देते हुए कहा कि, प्रिय भिक्षु इस गांव में पानी की समस्या है इसीलिए गांव वालों ने पानी की खोज में ये छोटे-छोटे गंड्ढे खोदे हैं. इतना सुनते ही भिक्षु उन गंड्ढों में पानी ढूंढने लगता है, लेकिन उसे पानी की बूंद भी नहीं मिलती.फिर वह गौतम बुद्ध से कहता है कि इन गड्ढों में तो पानी ही नहीं है. गौतम बुद्ध कहते हैं, तुम्हें वहां लोगों की भीड़ दिख रही है? वे सभी लोग गांव से दूर एक नदी की ओर पानी लाने के लिए जा रहे हैं. इस पर भिक्षु पूछता है कि, क्या इस गांव के जमीन में बिल्कुल भी पानी नहीं है?
गौतम बुद्ध कहते हैं- पानी तो है, लेकिन गांव में ऐसा कोई नहीं है जो पानी को ढूंढ सके. भिक्षु को बुद्ध की बात समझ नहीं आती. तब गौतम बुद्ध कहते हैं, गांव के लोगों ने पानी की खोज में ही मैदान में इतने सारे गड्ढे तो कर दिए हैं. लेकिन इसके बावजूद उन्हें पानी प्राप्त नहीं हुआ.
तुम जानते हो ऐसा क्यों? इसका कारण यह है कि समस्या के समाधान के लिए सही जगह परिश्रम नहीं की गई है. यदि गांव के लोग अलग-अलग कई गड्ढे करने के बजाय, सही दिशा में केवल एक गड्ढा ही करते जोकि सौ गड्ढों के बराबर होता तो इन्हें अवश्य ही पानी मिल जाता.
सीख-गौतम बुद्ध से जुड़ी इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि, मनुष्य का मन भी ठीक इसी तरह से सौ दिशाओं में भागता है. लेकिन यदि मन को एक दिशा में केंद्रित कर काम किया जाए तो लक्ष्य तक अवश्य ही पहुंचा जा सकता है और सफलता भी प्राप्त की जा सकती है. असफलता का कारण मन का चारों ओर भटकना ही है
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भूतों की हकीकत कहानी!! Real horror stories, ghost experience #Ritikrealpodcastchannel
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बॉम्बे गौरव गांव की हकीकत कहानी!
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